ट्रंप की टैरिफ नीति 2025: वैश्विक व्यापार पर बड़ा असर
23 जुलाई 2025, वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया भर के देशों के लिए आयात शुल्क (टैरिफ) की नई नीति लागू कर दी है। इस नीति को "Liberation Day Tariffs" नाम दिया गया है, जिसमें लगभग हर देश से अमेरिका में आने वाले उत्पादों पर कम से कम 10% शुल्क लगाया गया है। कई महत्वपूर्ण वस्तुओं पर यह दर 25% से 50% तक है। इस निर्णय से न केवल अमेरिका के व्यापारिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी उथल-पुथल मची है।
क्या है ट्रंप की नई टैरिफ नीति?
इस नई नीति के अंतर्गत ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वे अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ बढ़ा रहे हैं। स्टील, एलुमिनियम, ऑटोमोबाइल, खाद्य वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र जैसे प्रमुख उत्पादों पर भारी शुल्क लगाया गया है।
इस नीति का उद्देश्य उन देशों पर दबाव बनाना है जो अमेरिका के साथ व्यापारिक असंतुलन बनाए हुए हैं। ट्रंप का मानना है कि यदि विदेशी कंपनियां अमेरिकी बाजार में उत्पाद भेजती हैं, तो उन्हें उसके लिए शुल्क देना चाहिए ताकि अमेरिकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में नुकसान न हो।
किन देशों पर कितना असर?
- जापान: प्रारंभ में 25% टैरिफ लगाया गया, लेकिन एक विशेष समझौते के तहत इसे 15% कर दिया गया। इसके बदले जापान ने अमेरिका में $550 बिलियन का निवेश करने का वादा किया है।
- फिलीपींस और इंडोनेशिया: इन देशों पर 19% टैरिफ लागू किया गया है, जो पहले 30% के आसपास था।
- यूरोपियन यूनियन (EU): अगर 1 अगस्त 2025 तक कोई समझौता नहीं होता, तो 30% तक टैरिफ लागू हो जाएगा।
- चीन: अमेरिका और चीन के बीच 90 दिनों का 'ट्रेड ट्रूस' लागू किया गया है। यानी अभी अस्थायी राहत दी गई है।
- ब्रिटेन, वियतनाम: इन देशों ने टैरिफ कम करने के लिए अमेरिका से समझौते किए हैं।
भारत के लिए क्या खतरा?
फिलहाल भारत पर कोई विशेष टैरिफ लागू नहीं किया गया है, लेकिन अमेरिका के व्यापार घाटे के आधार पर 'Reciprocal Tariffs' की नीति लागू की गई है। इसका मतलब यह है कि जिन देशों से अमेरिका को घाटा हो रहा है, उन पर उच्च शुल्क लगाया जा सकता है। भारत अमेरिका को फार्मा, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल और स्टील जैसे उत्पाद निर्यात करता है। अगर अमेरिका इन क्षेत्रों में टैरिफ बढ़ाता है, तो भारतीय निर्यातकों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
कानूनी चुनौतियां और विवाद
2025 में अमेरिकी कोर्ट ने कुछ टैरिफ को "IEEPA" (International Emergency Economic Powers Act) के तहत अवैध करार दिया। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने इस पर अपील कर रखी है, जिससे टैरिफ फिलहाल जारी रहेंगे। कोर्ट का अंतिम फैसला जुलाई के अंत तक आने की संभावना है।
आर्थिक प्रभाव
अमेरिकी थिंक टैंक 'Tax Foundation' के अनुसार, इन टैरिफ्स के कारण औसत अमेरिकी परिवार पर सालाना $1,296 तक का अतिरिक्त भार पड़ेगा। आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा $1,600 से भी ऊपर जा सकता है।
इसके अलावा Yale University की रिपोर्ट के अनुसार, 2026 से 2035 के बीच इन टैरिफ्स से सरकार को लगभग $3 ट्रिलियन की कमाई हो सकती है, लेकिन इससे अमेरिका की GDP को लगभग $487 बिलियन का नुकसान भी होगा।
वैश्विक बाजार में प्रतिक्रिया
जापान के साथ डील होने के बाद वहां का स्टॉक मार्केट 'Nikkei' लगभग 3.5% ऊपर चला गया। लेकिन अमेरिकी शेयर बाजार में अप्रैल में जब टैरिफ की घोषणा हुई थी, तब बड़ी गिरावट देखी गई थी।
चीन, भारत और यूरोप जैसे देश इस नीति को लेकर चिंतित हैं और भविष्य में बदले की कार्यवाही कर सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है।
सरकारों और कंपनियों की प्रतिक्रिया
कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने इस नीति की आलोचना की है। वे मानती हैं कि इससे आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) बाधित होगी और उत्पाद महंगे होंगे। अमेरिका में भी छोटे व्यापारी और खुदरा विक्रेता इस नीति से नाराज हैं क्योंकि उन्हें आयातित उत्पादों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।
निष्कर्ष: क्या भारत को सावधान रहना चाहिए?
बिल्कुल। भले ही अभी भारत पर कोई सीधा टैरिफ नहीं लगाया गया हो, लेकिन अमेरिका की 'Reciprocal Tariff' नीति के चलते भविष्य में भारत को भी टारगेट किया जा सकता है। भारत सरकार को अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन सुधारने और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
इसके अलावा भारत को अपने घरेलू उद्योगों को इस संभावित खतरे से बचाने के लिए नीतियां तैयार करनी चाहिए। अन्यथा यह नई टैरिफ नीति भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाल सकती है।
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Source: India tv news 24 - आपकी आवाज आपके साथ
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